साधनाएं जो जीवन को बदल देती है

 साधनाएं जो जीवन को बदल देती है ... (अध्यात्म के पथ पर .....)


अघोरी के साथ तंत्र साधना




अचानक पीठ पर हुए लात के प्रहार से मेरी नींद उड़ गई और मैं कराहते हुए उठ बैठा रात्रि की द्वितीय प्रहर समाप्त हो चुका था और उसने मुझे साथ आने का मौन आदेश दिया और मैं यंत्र व्रत उसके पीछे पीछे चल पडा।
श्मशान बस्ती से पांच मील की दूरी पर स्थित था। लगभग एक घंटे चलने के पश्चात ही हम श्मशान में पहुंचे थे। श्मशान शब्द आते ही मन में एक अजीब सा भय व्याप्त हो जाता है उसकी निवरता उसकी स्तबध्ता से पूरे शरीर में सिरहन पैदा कर देती है। हमारे बीच दो घंटे से ज्यादा समय व्यतीत हो गया था पर उसने मौन धारण किये हुए था वैसे भी वह बहुत कम बोलता था बहुत जरूरी होने पर ही बोलता था।


उसके साथ मुझे 15 दिन से ज्यादा समय बीत गया था। पर वह आज मुझे पहली बार अपने साथ श्मशान में लेकर आया था। श्मशान में तंत्र साधना के लिए साधक के अन्दर एक साहस होना चाहिए, कमजेार दिल वाले इस क्रिया को नहीं कर सकते। अतः इसके लिए मुझे तैयार कर रहे थे, ये उसकी विवशता थी मुझे लाना क्योंकि उसे सदगुरूदेव आज्ञा थी मुझे तंत्र विद्या में निपुर्णता दिलाने की। जो गुरूदेव ने उसे सिखाई थी। (क्रमशः)

    



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