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महादेव की पूजा से मिलता है मनचाहा वरदान

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महादेव की पूजा से मिलता है मनचाहा वरदान   देवों के देव महादेव भगवान शिव का प्रिय महीना श्रावण मास । सनातन धर्म में जीवन में मोक्ष प्राप्ति के लिए भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व है। भगवान शिव औढर दानी है वह अपने अपने भक्तों के थोडे से पूजा आराधना से प्रसन्न होकर उन्हें मनचाहा वरदान देते हैं। हमारे वेद पुराणों में मंत्रों की असीम शक्ति का वर्णन किया गया है जिसे हमारे ऋषियों ने अपने अनुभवों को प्रमाणिकता के साथ लिखा है..... और ये ज्ञान उन्होनंे हमें विरासत में प्रदान कर गये हैं आवश्यकता है उसे समझने की या कोई ऐसा व्यक्ति मिले जो उसे समझा सके बता सके अतः सही गुरू या मार्गदर्शक के सानिध्य में कोई भी साधना पूजा की जाय तो कम समय में मनोवांछित सफलता प्राप्त होती है .... ये मेरे जीवन का अनुभव है और जिन्होनंे भी मेरे मार्गदर्शन में साधना की उन्हें भी सफलता की प्रप्ति हुई है ... कोई भी साधना का प्रभाव घर की अपेक्षा देवालय शिवालय में की जाय तो उसका फल ज्यादा मिलता है .... फिर भी आप अपनी साधना घर में ही रहकर पवित्रता का ध्यान रखकर कर सकते  हैं.... साधना काल के नियम:ः 1. साधक साधना के पूर्व हाथ

बिना गुरू के ज्ञान कहां

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 बिना गुरू के ज्ञान कहां  सनातन धर्म के अनुसार जीवन में गुरू की विशेष महत्ता है। हिन्दी पचांग के अनुसार आषाढ मास की पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन संभव हो तो अपने गुरू के पास जाना चाहिए और उनकी पूजा अर्चना का भेंट प्रदान कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। इस वर्ष 13 जुलाई बुधवार को गुरू पूर्णिमा मनाया जायेगा । गुरु पूर्णिमा पर बन रहा राजयोग ज्योतिष के अनुसार इस वर्ष 4 राजयोग का निर्माण हो रहा है जो कि बेहद खास है। मंगल, बुध, गुरू और शनि की स्थिति राजयोग बना रही है कई सालों बाद ये योग बन रहा है । गुरु पूर्णिमा पर क्या करें प्रातः जल्द उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहन कर अपने गुरू का ध्यान करना चाहिए। यदि आप ने गुरू धारण कर लिया है किसी को गुरू बनाया है तो उनसे प्राप्त मंत्रों का जप जितना संभव हो करना चाहिए। यदि आपने गुरू नही बनाया तो भगवान शिव को अपना गुरू मानकर मंदिर में जाकर या घर में उनकी पूजा आराधना करना चाहिए व आसन में बैठकर ओम नमः शिवाय मंत्र का जप करना चाहिए । यदि संभव हो तो घर में एक छोटा सा हवन करना चाहिए।   अपने गुरू के बताये उपदेश का स्मरण कर पालन

या देवी सर्वभूतेषु .....

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  या देवी सर्वभूतेषु ..... सनातन धर्म के अनुसार अषाढ शुक्ल पक्ष गुप्त नवरात्रि दिनांक 8 जुलाई 2022 शुक्रवार तिथि नवमी पड रही है अतः जिन साधकों ने इन दिनों में साधना पूजा अर्चना की है या जिन्होंने इन दिनों में साधना नहीं भी की है उन्हें भी आज इस दिन में मॉ दुर्गा की उपासना पूजा विशेष रूप से माता की पूजा अर्चना करनी चाहिए.... इसमे कोई विशेष विधि नियम पालन नहीं कर सकते हों तो भी अपनी क्षमता से पूजा करें और माता के समक्ष पूडी और हलवा का प्रसाद अर्पित करें । माता की पूजा क्यों की जाती है -  माता भक्तों के कष्टों का निवारण ये शीघ्र ही कर देती हैं। इनका वाहन सिंह है अतः इनका उपासक सिंह की तरह पराक्रमी और निर्भय हो जाता है। माता के उपासना से माता भक्त की प्रेत बाधा से सदैव रक्षा करती है। घर में किसी भी प्रकार की क्लेश नहंीं रहता, निगेटिव उर्जा का नाश होता है  इस दिन साधक का ध्यान लगाने पर उसे अलौकिक वस्तुओ के दर्शन होते है। माता के स्वरूप की आराधना से साधक को परम शांति मिलती है व उसका कल्याण होता। इस दिन जो भक्त माता की उपासना कर आशीर्वाद प्राप्त करता है वह जहां भी होता है उसे देखकर लोग शांति