या देवी सर्वभूतेषु .....

  या देवी सर्वभूतेषु .....

सनातन धर्म के अनुसार अषाढ शुक्ल पक्ष गुप्त नवरात्रि दिनांक 8 जुलाई 2022 शुक्रवार तिथि नवमी पड रही है
अतः जिन
साधकों ने इन दिनों में साधना पूजा अर्चना की है या जिन्होंने इन दिनों में साधना नहीं भी
की है उन्हें भी आज इस दिन में मॉ दुर्गा की उपासना पूजा

विशेष रूप से माता की पूजा अर्चना करनी चाहिए.... इसमे कोई विशेष
विधि नियम पालन नहीं कर सकते हों तो भी अपनी क्षमता से पूजा करें और माता
के समक्ष पूडी और हलवा का प्रसाद अर्पित करें ।

माता की पूजा क्यों की जाती है -

 माता भक्तों के कष्टों का निवारण ये शीघ्र ही कर देती हैं। इनका वाहन सिंह है अतः
इनका उपासक सिंह की तरह पराक्रमी और निर्भय हो जाता है।


माता के उपासना से माता भक्त की प्रेत बाधा से सदैव रक्षा करती है। घर में किसी भी प्रकार
की क्लेश नहंीं रहता, निगेटिव उर्जा का नाश होता है
 इस दिन साधक का ध्यान लगाने पर उसे अलौकिक वस्तुओ के दर्शन होते है।
माता के स्वरूप की आराधना से साधक को परम शांति मिलती है व उसका कल्याण होता।

इस दिन जो भक्त माता की उपासना कर आशीर्वाद प्राप्त करता है वह जहां भी होता है उसे देखकर
लोग शांति का अनुभव करते हैं तथा साधक के शरीर से सदैव उर्जा प्रवाहित होती रहती है जिसे
लोग अनुभव करते हैं व सदैव उसकी ओर आकृष्ट होते है।  

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माता की पूजा उपासना का फल

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उपासक सदैव निरोगी, सुखी और सम्पन्न होने का वरदान प्राप्त करता है। साधक में वीरता और निभर््ारता
के साथ सौम्यता का भी विकास हेाता है। तथा स्वर में दिव्य अलौकिक शक्ति का वास होता है। वह छोटी
छोटी बात पर विचलित नहीं होता। पारिवारिक जीवन में मधुरता बनी रहती है।

गुप्त नवरात्रि मे देवी की पूजा विधि एवं आराधना मंत्र रूरू


प्रातः माता का शुद्ध जल और पंचामृत से स्नान कराएं। व तरह के फूलएअक्षतए कुमकुम
सिन्दूरएअर्पित करें। केसर.दूध से बनी खीर का भोग लगाएं। मां को सफेद कमलएलाल
गुडहल और गुलाब की माला अर्पण करें और प्रार्थना करते हुए मंत्र जप करें।

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मंत्र --

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डयै विच्चे नमः

फिर माता जी की आरती करें।

साधना मे ंसावधानी:ः

1. सुद्धता का पालन करना चाहिए।
2. मन में बुरे विचारों का चिन्तन व मनन नहीं करना चाहिए
3. गलत लोगों की संगति से बचना चाहिए
4. छल कपट अपशब्दों का प्रयोग नहंी करना चाहिए।
5. ब्रम्हचर्य का पालन करना चाहिए
6. यदि कही बिमार या जरूरी संकट यात्रा की आवश्यकता पड जाती है तो माता से
क्षमा याचना कर उपवास तोड सकते है इससे क्षम्य होता है
7 स्त्रियां रजस्वला पीरेड में साधना रोक सकती है
8 पहले तो जानबूझ कर गलती नहीं करना चाहिए। यदि साधना में किसी भी प्रकार की गलती
हो जाय तो माता क्रोधित हो सकती है गलती हो जाने पर माता से क्षमा याचना कर लेना चाहिए
9 सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए, तामसिक भोजन से दूरी बना कर रखना चाहिए।

नोट:ः कई लोंगों का प्रश्न होता है कि हम रोज पूजा करते हैंे पर अपेक्षित फल की प्राप्ति नहीं होती क्या वजह है ?

समाधान:ः साधना पूजा उपासना मंत्र जप एक सतत क्रिया है, उपासक पुस्तकों को पढकर साधना करने लग
जाता है अपितु उसे एक योग्य गुरू के मार्गदर्शन में ही साधना करनी चाहिए। साधनाकाल में छोटी छोटी कुछ
बातों का ध्यान रखा जाय तो साधक को अपेक्षित फल की प्राप्ति होती है। सर्व प्रथम तो साधक को साधक को
यह पता नही होता है कि वह साधना कार्यसिद्धि की अपेक्षा के लिए कर रहा है या सिद्धि प्राप्ति की आकांक्षा के
लिए कर रहा है। साधना प्रदर्शन की क्रिया नहीं है यह तो गुप्त रूप से करने वाली क्रिया है। साधक गुरू मार्गदर्शन में
साधना करे अवश्य सफलता मिलेगी।

मॉं आप सभी की मनोकामना पूर्ण करें ....

- स्वामी श्रेयानन्द महाराज
9752626564

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